
दूध और पानी को अलग कर देने के कला हंस पक्षी के पास है, इसकी सरस्वती देवी का वाहन माना जाता है, हंस दूध और पानी अलग कर सकते हैं, हालांकि इसका कुछ वैज्ञानिक आधार नहीं है।
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1. हंस पानी में तैरते हुए अक्सर ऐसा दिखता है। हंस अपना समय ज्यादातर पानी में प्रवेश करता है। यह कुछ चुनिंदा तस्वीरों में आता है जो पानी पर तैरते हैं। इस पक्षी को जलचर पक्षी भी कहते हैं।
2. इसका मुख्य रूप 7 ज़ोन है। हंस एशिया, यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में जाता है। भारत में भी मिलते हैं। अफ्रीका महाद्वीप में हंस नहीं मिला।
3. हंस का स्वभाव शांत होता है। यह शांति से पानी पर तैरता रहता है। हंस शर्मिला भी होती है।
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4. हंस पक्षी का रंग काला और सफेद होता है। सफेद रंग के हंस आमतौर पर भारत में ही मिल जाते हैं। काले रंग के दुर्लभ होते हैं जो ऑस्ट्रेलिया में अमूमन मिलते हैं। अमेरिका में काले रंग की गर्दन के हंस मिलते हैं।
5. हंस हंस का मुख्य जीव कठोर से प्राप्त होता है। यह पक्षी वन के बीज, घास, कीड़े, छोटी मछलियां आदि खाते हैं।
6. हंस की गर्दन बगुले की तरह लम्बी और सुराहीदार होती है।
7. हंस पक्षी के शरीर का वजन करीब 10 से 12 किलोग्राम तक होता है। मां का वजन नर से कम होता है। उन पर करीब लदान मीटर होती है।
8. हंस पक्षी का मुंह छोटा होता है जो दांत नहीं होता। वैसे तो मनुष्य को हानि नहीं पहुंचती, परन्तु उसके प्रमाणों को हानि पहुंच सकती है।
9. हंस (हंस पक्षी) के पैर कुछ इस तरह से दिखते हैं कि ये आसानी से पानी पर तैरते हैं। पैर छोटे टाइट होते हैं।
10. हंस की एक बड़ी ही रोचक बात होती है कि यह पक्षी तैरते ही सो जाता है। इससे हंस को कोई परेशानी नहीं होती है।
11. हंस पक्षी के चोंच का रंग इसकी प्रजातियों के अनुसार अलग होता है। चोंच काली, पीला, लाल रंग में होता है।
12. इस पक्षी के करीब 25 हजार पंख होते हैं। उड़ते हुए पंख 6 से 8 फ़ीट तक के हो जाते हैं।
13. इस पक्षी की गति 95 किलोमीटर प्रति घण्टा होती है। वैसे यह देर तक उड़ना नहीं पाता है।
14. नर हंस को केवल हंस कहते हैं जबकि मादा हंस को हंसिनी कहते हैं।
15. हंस जोड़ों में रहने वाला पक्षी है। माँ के साथ एक बार बनी जोड़ी हमेशा रहती है। इसलिए इसे प्रेम का प्रतीक भी कहते हैं। हंस मरते दम तक साथ रहते हैं।
16. नर और मादा हंस एक दूसरे की चोंच को छूते हैं। इससे दिल के आकार की आकृति बन रही है।
17. हंस का निवास स्थान पानी के आसपास होता है। यह तालाबों, नदियों, सरोवर, झीलों में मिलता है।
18. मां हंस अंडे घोंसले में रहते हैं। यह एक बार में करीब 4 से 8 अंडे देता है। इनके आस-पास के तालाबों के किनारे पर आसरा होता है।
19. मांदा ही अंडों को सेहने का काम करती है। वह अंडों पर तब तक बैठती है, जब तक अंडों से बच्चा नहीं निकलता। करीब 40 दिन तक देखने के बाद बच्चा मिल गया है। मां और बच्चे के लिए भोजन का इंतज़ाम नर हंस करता है। बच्चा करीब 6 माह तक मां के पास ही रहता है।
20. हंस पर साहित्य में कई कविताएं लिखी गई हैं। कई हिंदी फिल्मों के गानों में हंस का जिक्र आता है। हंस को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।
21. हंस को धार्मिक आस्था के अनुसार देवी सरस्वती का वाहन माना जाता है।
22. हंस एक दुर्लभ पक्षी है। इसका शिकार किया जाता है। भेड़िया, लोमड़ियों जैसे जानवर हंसों का शिकार करता है। इन जानवरों के खाने के भी फायदे हैं।
23. हंस हंस का एवरेज 10 से 15 साल तक होता है। वैसे अनुकूल माहौल में यह पक्षी 30 साल भी जीवित रह सकता है।
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सुनने में अजीब लगता है कि पक्षी और दूध.. लेकिन यह सच है कि कुछ पक्षियों में कुदरत ने अपने बच्चों के लिए दूध देने का इंतज़ाम भी रखा है।
दरअसल यह विशेष पदार्थ शुद्ध दूध नहीं होता बल्कि इसके गुण दूध जैसे होते हैं और स्तनपायी दृष्टी की तरह नहीं बल्कि ग्रहों के ओसोफेगस (गले) में स्थित विशेष प्रकार की कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं। जब पक्षी अपने बच्चों के लिए दाना चुग कर अपने गले में बने हुए एक सैश (फसल) में भरकर लाते हैं तब क्रॉप केल्स द्वारा बनाया गया यह विशेष दूध उन दानों में मिल जाता है। इस तरह बच्चों के कोमल पाचन तंत्र के लिए घबराहट भी हो जाती है और उनका पोषण स्तर भी बढ़ जाता है।
हंस एक पक्षी है। भारतीय साहित्य में इसे बहुत विवेकी पक्षी माना जाता है। और ऐसा विश्वास है कि यह नीर-क्षीर विवेक (पानी और दूध को अलग करने वाला विवेक) से युक्त है। यह विद्या की देवी सरस्वती का वाहन है। ऐसी मान्यता है कि यह मानसरोवर में रहते हैं। यह पानी मे रहता है। यह एक दुर्लभ जीव है।
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एक पक्षी है। भारतीय साहित्य में इसे बहुत विवेकी पक्षी माना जाता है। और ऐसा विश्वास है कि यह नीर-क्षीर विवेक (पानी और दूध को अलग करने वाला विवेक) से युक्त है। यह विद्या की देवी सरस्वती का वाहन है।
हंस जोड़ों में रहने वाला पक्षी है। माँ के साथ एक बार बनी जोड़ी हमेशा रहती है। इसलिए इसे प्रेम का प्रतीक भी कहते हैं। हंस मरते दम तक साथ रहते हैं।
हंस हंस का एवरेज 10 से 15 साल तक होता है। वैसे अनुकूल माहौल में यह पक्षी 30 साल भी जीवित रह सकता है
वृद्धावस्था के अनुसार हंस दूध को पानी से अलग कर सकते हैं और केवल दूध पी सकते हैं। हंस हमेशा स्नेह, स्नेह, प्रेम, महिमा और दिव्यता से रंगा जाता है। मनुष्य का आध्यात्मिक विकास के लिए हिंदुओं ने प्रकृति में हर चीज का उपयोग किया।
हंस, नल और दमयंती की पौराणिक प्रेम कथा का हिस्सा है, जहां यह दो दृष्टांतों के बीच की कहानियां, ऐतिहासिक जानकारी और अस्पष्ट रूप प्रदान करती है।
भारतीय पौराणिक कथाओं में मोती खाने और दूध के मिश्रण से पानी को अलग करने के लिए हंसों को माना जाता है। वैसे यह मान्यता मात्र इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।