भारत अपने परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाता जा रहा है. भारत अब एक ऐसी मिसाइल विकसित कर रहा है जो दक्षिण भारत में अपने सभी अड्डों से चीन को लक्षित कर सकता है. इस लेख में ऐसी मिसाइलों की सूची दी गई है जिससे यह पता चलता है कि कौन सी मिसाइलों की मदद से भारत चीन को टारगेट कर सकता है.
भारत एक ऐसा देश है जिसके कई पड़ोसी देश हैं. यह व्यापक अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत वाला विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. भारत की आर्थिक और सैन्य व्यवस्था में निरंतर प्रगति के कारण पिछले एक-डेढ़ दशक में भारत के प्रति चीन एवं पाकिस्तान के दृष्टिकोण में नाटकीय बदलाव हुआ है.
लगातार भारत अपने परमाणु हथियारों को आधुनिक बनाता जा रहा है. अमेरिकी विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की परमाणु रणनीति, जो पारंपरिक रूप से पाकिस्तान पर केंद्रित है, अब चीन पर ज्यादा ध्यान दे रहीं है. भारत अब एक ऐसी मिसाइल विकसित कर रहा है जो दक्षिण भारत में अपने सभी अड्डों से चीन को लक्षित कर सकता है.
एक आलेख ‘इंडियन न्यूक्लियर फोर्सेज़ 2017’ में हैन्स एम. क्रिस्टेन्सन और रॉबर्ट एस. नॉरिस ने लिखा है कि भारत ने 600 किलोग्राम वेपन-ग्रेड जो कि हथियारों में इस्तेमाल किया जाने वाला प्लूटोनियम होता है को तैयार कर लिया है, जिनसे वह 150-200 परमाणु हथियार बना सकता है, लेकिन संभवतः उसने सिर्फ 120-130 हथियार बनाए हैं.
भारत का परमाणु सिस्टम

भारत ने अपने परमाणु सिस्टम को आधुनिक बनाने के साथ-साथ विकसित भी किया है. विशेषज्ञों के अनुसार भारत के पास 7 परमाणु-सक्षम सिस्टम हैं, जिनमें दो विमान, चार ज़मीन पर चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें और एक समुद्र में स्थित बैलिस्टिक मिसाइल. ‘इंडियन न्यूक्लियर फोर्सेज़ 2017’ आलेख के अनुसार भारत चार परमाणु सिस्टम और विकसित कर रहा है. इसमें लम्बी दूरी की ज़मीन और समुद्र से मार करने में सक्षम मिसाइलों को अगले एक दशक तक तैनात किया जा सकेगा.
भारत ने कभी भी सार्वजनिक रूप से अपने परमाणु शस्त्रागार का आकार जारी नहीं किया है. आकलन 130-140 परमाणु वारहेड के बीच एक भंडार को अनुमानित करता है. हालांकि, कम से कम 600 किलोग्राम हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम है, जो 150-200 परमाणु युद्ध के लिए पर्याप्त है. परंपरागत रूप से, भारत के परमाणु शस्त्रागार ने पाकिस्तान को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन भारत का परमाणु पदभार चीन को ध्यान में रखना शुरू हो सकता है. इससे पाकिस्तान के खिलाफ उसके शस्त्रागार भूमिका निभाने के बारे में भारत के दृष्टिकोण में बदलाव आ सकता है. भारत वर्तमान में एक नो फर्स्ट यूज़ नीति (No First Use policy) रखता है, लेकिन अगस्त 2019 में भारतीय अधिकारियों द्वारा की गई टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि नई दिल्ली इस नीति पर पुनर्विचार कर सकती है. भारत के पास पूर्ण परमाणु परीक्षण है और वह वर्तमान में आधुनिकीकरण कर रहा है.
ऐसा कहा जा रहा है कि ठोस-ईंधन और रेल-मोबाइल युक्त दो चरणों वाला अग्नि-2 मिसाइल, अग्नि-1 का ही विस्तृत रूप है. परंपरागत या परमाणु युद्धपोत से प्रक्षेपण में सक्षम इस मिसाइल को 2000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक प्रक्षेपित किया जा सकता है और संभवतः यह चीन के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी क्षेत्र को अपना निशाना बना सकता है.
हालांकि अग्नि-4 पूर्वोत्तर भारत से बीजिंग और शंघाई सहित लगभग सभी चीन में विचित्र लक्ष्यों के लिए सक्षम होगा.
भारत लंबी-दूरी के लिए एक ठोस-ईंधन, रेल-मोबाइल, सतह से सतह पर मार करने वाला यह निकट-अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) युक्त तीन-चरणों वाला अग्नि -5 बनाया हैं जो कि 5000 किलोमीटर (3,100 से अधिक मील) से अधिक दूर स्थित लक्ष्य को भी भेद सकता है.
वर्तमान में भारत के शस्त्रागार में अग्नि श्रृंखला है, अग्नि -1 में 700 किलोमीटर की मारक क्षमता, 2,000 किलोमीटर की मारक क्षमता के साथ अग्नि 2, अग्नि 3 और अग्नि 4, जिसमें 2,500 किमी से 3500 किमी से अधिक की मारक क्षमता होती है. कुछ और परीक्षणों के बाद, अग्नि 5 की भी सेवाओं को शामिल किया जाएगा.
– बैलिस्टिक मिसाइल होने के नाते, अग्नि 5 को दुनिया भर में रक्षा बलों द्वारा ज्यादातर मौजूद रडार सिस्टम से भी नहीं पता लगाया जा सकता है.
– क्या आप जानते हैं कि अग्नि 5 का वजन लगभग 50 टन है और यह लगभग पूरे चीन और पाकिस्तान को टारगेट कर सकता है. यहाँ तक कि यह यूरोप में भी अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है.
– कुछ रिपोर्टों के अनुसार, भारत के अपने शस्त्रागार में 110-120 परमाणु-सक्षम मिसाइलें हैं. जैसे कि प्रितवी 2 (350 किमी), अग्नि 1 (700 किमी), अग्नि 2 (2000 किमी) और अग्नि 3 (3000 किमी) को पहले ही देश की रक्षा प्रणाली में शामिल कर लिया गया है.
– दूसरी और अगर चीन को देखें तो चीन (डोंफेंग) डीएफ श्रृंखला सहित लगभग 250 परमाणु मिसाइलों का एक बड़ा स्टॉक है. ऐसा कहा जाता है कि डीएफ 31ए मिसाइल में 10,000 किलोमीटर से ज्यादा लक्ष्यों को भेदने की क्षमता है.
– अग्नि-5 स्वदेशी तौर पर निर्मित अग्नि श्रृंखला का सबसे उन्नत संस्करण है. यह 1960 के दशक में शुरू किया गया इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) Integrated Guided Missile Development Programme (IGMDP) का हिस्सा है.
– पहली बार 2012 में अग्नि-5 का परीक्षण किया गया था तब भारत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन जैसे देशों के इलीट वर्ग क्लब में शामिल हुआ, जो इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) क्षमताओं का दावा करता हैं.
– अग्नि-5 का यह परीक्षण भारत द्वारा जुलाई 2016 में 34 देशों की मिसाइल टेक्नोलॉजी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में शामिल होने के बाद इस तरह का पहला मिसाइल परीक्षण है. एमटीसीआर (MTCR) की सदस्यता से भारत को अत्याधुनिक मिसाइल प्रौद्योगिकी खरीदने और रूस के साथ अपने संयुक्त उपक्रमों को बढ़ाने में सहायता मिलेगी.
भारत और चीन के बीच परमाणु मिसाइलों की तुलना