
जंगल में जिसके पहुंचते ही फैल जाती है दहशत,जानें रफ्तार के बादशाह का नाम कैसे पड़ा चीता
लखनऊ। 1952 में देश में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया था,लेकिन अब वो दिन इतिहास की बातें बनकर रह गई हैं।ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदुस्तान की धरती पर रफ्तार भरने के लिए नामीबिया से 8 चीते आ चुके हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज जन्मदिन है।आज का दिन देश और मध्य प्रदेश के लिए इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गया है,क्योंकि 70 साल बाद नामीबिया से भारत पहुंचे 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री मोदी ने छोड़ा है।कूनों के क्वारंटाइन बाड़े में तीन नर और पांच मादा चीतों को छोड़ा है। साथ ही चीतों को छोड़ते हुए खुद कैमरे में कैप्चर किया।
चीता शब्द की कैसे हुई उत्पत्ति
आपको बता दें कि चीता शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द चित्रकायः से हुई है,जोकि हिंदी चीता के माध्यम से आई है और जिसका अर्थ होता है बहुरंगी शरीर वाला।बिल्ली के कुल में आने वाला चीता अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है।यह एसीनोनिक्स प्रजाति के अंतर्गत रहने वाला एकमात्र जीवित सदस्य है, जो कि अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाना जाता हैं।
धरती पर रहने वाला सबसे तेज जानवर है चीता
जमीन पर रहने वाला चीता सबसे तेज रफ्तार वाला जानवर है।चीता एक छोटी सी छलांग में 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार प्राप्त कर लेता है।मात्र तीन सेकेंड के अंदर चीता अपनी रफ्तार में 103 किलोमीटर प्रति घंटे का इजाफा कर लेता है,जो अधिकतर सुपरकार की रफ्तार से भी तेज है। हालिया अध्ययन से ये साबित हो चुका है कि धरती पर रहने वाला चीता सबसे तेज जानवर है।
1952 में चीता को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था
आपको बता दें कि भारत में चीतों की आबादी 19वीं शताब्दी के दौरान घट गई थी।इसका मुख्य कारण था स्थानीय राजाओं और ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा चीतों का शिकार करना।एक दिन ऐसा आया जब 1948 में अंतिम तीन एशियाई चीतों का शिकार किया गया और 1952 में चीता को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।उसके बाद से भारत में कोई चीता नहीं था,लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर 8 विदेशी चीते भारत आ चुके हैं।
आठ चीतों में पांच मादा और तीन नर है शामिल
नामीबिया से इन चीतों को लेकर बोइंग 747-400 विमान भारत आया है।नामीबिया के विंडहोक से कुल आठ चीते भारत लाए गए हैं।इनमें पांच मादा और तीन नर- चीता शामिल हैं।इससे पहले ग्वालियर में चीतों का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ, जिसमें सभी फिट पाए गए।फिर उन्हें हेलिकॉप्टर से कुनो अभयारण्य लाया गया, जहां श्योपुर के कूनो सेंचुरी पार्क में पीएम मोदी ने आजाद किया है। 75 साल पहले वर्ष 1947 में देश में आखिरी बार चीता देखा गया था।
एक महीने तक क्वारंटीन सेंटर में रखे जाएंगे चीता
चीतों को एक महीने तक के लिए क्वारंटीन सेंटर में रखा जाएगा।यहां नर और मादा चीतों को अलग-अलग रखा गया है। इस दौरान उनकी सेहत की निगरानी की जाएगी। अनाधिकृत व्यक्तियों को एक महीने के लिए बाड़े से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा और संभावित संक्रमण से बचाने के लिए उस समय के लिए इसे पर्दों से ढक दिया जाएगा।
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