जानें भारत में निर्वाचन प्रक्रिया के बारे में

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निर्वाचन भारतीय लोकतान्त्रिक संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। संविधान में अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक भारतीय निर्वाचन प्रणाली की रुपरेखा प्रस्तुत की गयी है। संवैधानिक प्रावधानों व संसद द्वारा बनाये गए कानूनों के के अनुसार भारत में लोक सभा, राज्य सभा, राज्य विधान सभाओं व विधान परिषदों के लिए निर्वाचन संपन्न कराये जाते हैं। निर्वाचन, संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से अनुपूरित संवैधानिक उपबंधों के अनुसार ही संचालित किए जाते है। मुख्य कानून हैं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, जो मुख्यत: निर्वाचक नामावलियों की तैयारी तथा पुनरीक्षण से संबंधित है।

निर्वाचन भारतीय लोकतान्त्रिक संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। संवैधानिक प्रावधानों व संसद द्वारा बनाये गए कानूनों के के अनुसार भारत में लोक सभा, राज्य सभा,राज्य विधान सभाओं व विधान परिषदों के लिए निर्वाचन संपन्न कराये जाते हैं। विश्व में अनेक प्रकार की निर्वाचन प्रणालियां प्रचलित हैं, जिन्हें हम दो निम्नलिखित दो प्रकारों में बाँट सकते हैं-

1. बहुमत प्रणाली

2. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली।

संविधान में अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक भारतीय निर्वाचन प्रणाली की रुपरेखा प्रस्तुत की गयी है।

लोक सभा के लिए निर्वाचन प्रक्रिया

लोक सभा का गठन वयस्क मताधिकार पर आधारित प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से चुने गए जन-प्रतिनिधियों से मिलकर होता है।संविधान के अनुसार इसमें अधिकतम 552 सदस्य हो सकते हैं, जिसमें 530 सदस्य राज्यों और 20 सदस्य संघशासित क्षेत्रों से होंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति आंग्ल-भारतीय समुदाय के दो सदस्यों को लोक सभा के लिए नामित कर सकता है। 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा लोक सभा हेतु आंग्ल-भारतीयों के नामांकन की अवधि को पुनः बढ़ाकर 2020 तक कर दिया गया है। लोक सभा के निर्वाचन से संबंधित विभिन्न पहलुओं का वर्णन नीचे दिया गया है।

प्रत्यक्ष निर्वाचन: लोक सभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन के माध्यम से किया जाता है।कोई भी नागरिक,जिसकी आयु 18 वर्ष से अधिक है,जाति, धर्म,लिंग,सामाजिक स्थिति आदि के भेदभाव के बिना निर्वाचन में भाग ले सकता है।

निर्वाचन क्षेत्र:  प्रत्येक राज्य को निर्वाचन हेतु निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा गया है।प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से लोक सभा के लिए एक सदस्य का निर्वाचन किया जाता है। इसका तात्पर्य है कि निर्वाचन क्षेत्रों व लोक सभा के सदस्यों की संख्या समान होती है।

प्रत्येक जनगणना के बाद निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्समायोजन: प्रत्येक जनगणना के बाद निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्समायोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन क्षेत्र के आधार पर न कर जनसंख्या के आधार पर किया गया है।

अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण: संविधान में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए लोक सभा में सीटें आरक्षित की गयीं हैं। 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा लोक सभा में अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण  की अवधि को पुनः बढ़ाकर 2020 तक कर दिया गया है।

संविधान में पृथक निर्वाचकमण्डल की व्यवस्था नहीं है, इसका तात्पर्य है क़ि सामान्य मतदाता भी अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रोंके मतदान में भाग ले सकता है।इसके साथ ही अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय का कोई भी सदस्य सामान्य निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है।

87वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के अनुसार राज्य सभा व लोक सभा में अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण 2001 की जनगणना के आधार पर होगी।

राज्य सभा के लिए निर्वाचन प्रणाली

राज्य सभा संसद का ऊपरी सदन है ,जिसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 तक हो सकती है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं होता है। इनका निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा राज्यों की विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है।

प्रत्येक राज्य को राज्य सभा में निश्चित सीटें प्रदान की गयीं है। संघशासित क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का निर्वाचन संसद द्वारा बनाये गये कानून के अनुसार किया जाता है।

राष्ट्रपति साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त 12 सदस्यों को राज्य सभा हेतु नामित कर सकता है।

राज्य सभा संसद का स्थायी सदन है। इसका विघटन भी नहीं हो सकता है क्योंकि इसके एक-तिहाई सदस्य प्रति दो वर्ष पर सेवानिवृत होते हैं। वर्तमान में राज्य सभा के सदस्यों की संख्या 245 है।

संसद सदस्य हेतु अर्हताएं

किसी भी व्यक्ति को संसद सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए नीचे दी गयी अर्हताओं को पूरा करना होगा ।

  • उसे भारत का नागरिक होना चाहिए ।
  • उसे निर्वाचन आयोग द्वारा प्राधिकृतकिये गए व्यक्ति के समक्ष संविधान की तीसरी अनुसूची में दिए गए प्रारूप के अनुसार शपथ लेनी होगी ।
  • राज्य सभा की सदस्यता हेतु उसकी आयु 30 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
  • लोक सभा की सदस्यता हेतु उसकी आयु 25 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
  • उसे संसद द्वारा अवधारित की गयी अन्य अर्हताओं को पूरा करना होगा।

संसद सदस्य हेतु निरहर्ताएं

संविधान के अनुच्छेद 102 में उन निरहर्ताओं का वर्णन किया गया है जिनके आधार पर संसद के दोनों सदनों के किसी सदस्य को अयोग्य ठहराया जा सकता है:

1. यदि वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ का कोई पद धारण करता है

2. यदि वह नागरिक नहीं है या फिर उसने स्वेच्छा से किए विदेशी राज्य की नागरिकता स्वीकार कर ली है

3. यदि वह संसद द्वारा बनाये गए किसी कानून के तहत अयोग्य ठहराया जाता है

संसद ने जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 में कई अन्य निरर्हताओं का वर्णन किया है, साथ ही साथ संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत दल-बदल के आधार पर भी किसी सदस्य को अयोग्य ठहराया जा सकता है |

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राज्य विधानसभाओं  के लिए निर्वाचन प्रक्रिया

प्रत्यक्ष निर्वाचन: राज्य विधानसभाओं का गठन राज्य की जनता द्वारा सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष रूप से चुने गए जन प्रतिनिधियों से मिलकर होता है| विधान सभाओं की सदस्य संख्या अधिकतम 500 और न्यूनतम 60 निश्चित की गयी है|

नामित सदस्य: राज्यपाल आंग्ल-भारतीय समुदाय के एक व्यक्ति को विधान सभा में नामित कर सकता है यदि,उसकी राय में,समुदाय का विधान सभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न हो| 

निर्वाचन क्षेत्र: प्रत्येक राज्य को निर्वाचन हेतु निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा गया है।प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के लिए एक सदस्य का निर्वाचन किया जाता है।

प्रत्येक जनगणना के बाद निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्समायोजन: प्रत्येक जनगणना के बाद प्रत्येक राज्य की विधान सभा की कुल सीटों का पुनर्समायोजन किया जाता है और प्रत्येक राज्य को निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है|

87वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा प्रत्येक राज्य को आवंटित सीटों की संख्या में बदलाव के बिना प्रत्येक राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्समायोजन जनगणना 2011 के आधार पर किये जाने की व्यवस्था की गयी|

अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण: संविधान में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए विधानसभाओं में सीटें आरक्षित की गयीं हैं।

विधान परिषदों के लिए निर्वाचन

किसी राज्य की विधान परिषद्,यदि यह उस राज्य में है तो, की सदस्य संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्य संख्या की एक तिहाई से अधिक नहीं होनी चाहिए| लेकिन किसी भी स्थिति में विधान परिषद् की सदस्य संख्या 40 से कम नहीं होनी चाहिए| परिषद् की वास्तविक सदस्य संख्या का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है| विधान परिषद् के सदस्यों का निर्वाचन आंशिक रूप से अप्रत्यक्ष निर्वाचन से, आंशिक रूप से विशेष निर्वाचन क्षेत्रों द्वारा और आंशिक रूप से नामित सदस्यों द्वारा होता है|

इस समय राजनीतिक सुधारों की तत्काल आवश्यकता है, जिसमे निर्वाचन सुधारों पर जनमत संग्रह, विभिन्न दलों के बीच समन्वय और भारत में अधिक पारदर्शी व उत्तरदायित्वपूर्ण राजनीतिक प्रणाली की स्थापना का प्रावधान शामिल हो|

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निम्नलिखित में से कौन पृथ्वी पर प्रकाश का स्रोत है?
Which one of the following is the source of light on the earth?

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वह वृत्त जो ग्लोब को दिन और रात में विभाजित करता है, कहलाता है
The circle that divides the globe into day and night is called

3 / 10

पृथ्वी के एक चक्कर की अवधि को कहा जाता है
The period of one rotation of the earth is known as

4 / 10

यदि पृथ्वी न घूमती तो क्या होता?
What would have happened if the earth did not rotate?

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366 दिनों वाला वर्ष कहलाता है
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6 / 10

पृथ्वी पर ऋतुएँ क्यों बदलती हैं?
Why do seasons change on the earth?

7 / 10

उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात कब होती है ?
When do the longest day and the shortest night occur in the northern hemisphere?

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ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस किस मौसम में मनाया जाता है ?
In which season Christmas is celebrated in Australia

9 / 10

पृथ्वी पर विषुव कब होते हैं?
When do equinoxes occur on the earth

10 / 10

पृथ्वी पर दिन और रात होते हैं
Days and nights occur on earth due to

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