आइये इस लेख में 10 ऐसे IAS अधिकारियों के बारे में जानते हैं जिन्होनें सिविल सर्विसेज में अपना योगदान देने के बाद राजनीती में कदम रखा और नेता बने. उनमें से कुछ ने इसके लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और कुछ ने अपने जीवन में बाद में लोगों का प्रतिनिधि बनने का रास्ता चुना.
UPSC सिविल सेवा को जॉइन करना बहुत से भारतीयों का सपना है और एक बड़ा सपना यह भी है कि वे लोगों का प्रतिनिधि बनें. ऐसा देखा गया है कि कई IAS अधिकारीयों ने सिविल सर्विसेज की नौकरी छोड़कर राजनीती में कदम रखा. इस लेख में हमने कुछ ऐसे अधिकारियों की रोचक कहानियों को संकलित किया है जो IAS बनने के बाद राजनीती में आए और नेता बने. आइये ऐसे IAS अधिकारियों के बारे में जानते हैं.
10 IAS अधिकारियों की सूची जो बाद में नेता बने
1. अजीत जोगी (Ajit Jogi)
अजीत जोगी ने भोपाल के मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, 1968 में यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल जीता. कॉलेज के बाद वे IAS अफ़सर बने. अजीत जी 1968 बैच के IAS ऑफिसर थे. नौकरी छोड़ने के बाद वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे. उसके बाद वे छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने. कभी गांधी परिवार के वफादार रहे, उन्हें भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों के आरोपों का सामना भी करना पड़ा. उन्होंने अंततः पार्टी छोड़ दी और ‘छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस’(Chhattisgarh Janata Congress) नामक अपनी पार्टी बनाई.
2. मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar
मणिशंकर अय्यर का जन्म लाहौर में हुआ था. वह 1963 में भारतीय विदेश सेवा ( Indian Foreign Services) में शामिल हुए. वे 1991 में तमिलनाडु के मयिलादुतुरई (Mayiladuturai) से लोकसभा के लिए चुने गए. तब से उन्होंने कई विभागों में कार्य किया
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