
पारिस्थितिकी को जीव विज्ञान की शाखा के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है जो जीवो के एक दूसरे के साथ संबंधो और उनके भौतिक परिवेशो की चर्चा करता है। इसे जीवो के मध्य अन्तः क्रिया और उनके परिवेश के वैज्ञानिक अध्ययन के रूप मे भी परिभाषित किया जा सकता है। पारिस्थितिकी शब्द का वास्तविक अर्थ “घर का अध्ययन” है। पारिस्थितिकी एक बहुआयामी विज्ञान है एवं विज्ञान की अन्य शाखाओ जैसे भूगोल, भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, भूतत्व, भौतिकी और रसायन विज्ञान के साथ इसका संबंध है।
पर्यावरण (परि+आवरण) शब्द का शाब्दिक अर्थ है हमारे चारों ओर का घेरा अर्थात हमारे चारों ओर का वातावरण जिसमें सभी जीवित प्राणी रहते हैं और अन्योन क्रिया करते हैं। पर्यावरण का अंग्रेजी शब्द एनवॉयरमेंट है जो फ्रेंच भाषा के शब्द एनवॉयरनर से बना है, जिसका अर्थ है ‘घेरना।’ अतः पर्यावरण के अन्तर्गत किसी जीव के चारों ओर उपस्थित जैविक तथा अजैविक पदार्थों को सम्मिलित किया जाता है।
पारिस्थितिकी पर्यावरण अध्ययन का वह भाग है जिसमे हम जीवो, पौधो और जन्तुओं और उनके संबंधो या अन्य जीवित या गैर जीवित पर्यावरण पर परस्पराधीनता के बारे मे अध्ययन करते है ।
पारिस्थितिकी दो शब्दों से मिल कर बना है जो ग्रीक शब्द “ Oekologue” से लिया गया है:
(a) ‘Oekos’ का अर्थ घेराव/ आस पास का क्षेत्र
(b) ‘Logs’ का अर्थ एक पूरे पारिस्थितिकी पर अध्ययन मतलब ‘घेराव /आस पास का अध्ययन’
पारस्थितिक अध्ययन मे शामिल है:
1. यह वातावरण मे ऊर्जा और पदार्थो के प्रवाह के अध्ययन से संबन्धित है।
2. यह प्रकृति के अध्ययन और इसके क्रियाकलाप से संबन्धित है।
3. यह पर्यावरण के जैविक और अजैविक घटको के बीच विभिन्न पदार्थों के आदान प्रदान से संबन्धित है। उदाहरण: भू जैव रासायनिक चक्र।
“पारिस्थितिकी” शब्द (“Okologie”) का आविष्कार जर्मन वैज्ञानिक अर्नस्ट हैकेल (1834-1919) ने 1866 मे किया। पारिस्थितिक सोच दर्शन मे स्थित धाराओं, विशेष रूप से नैतिकता और राजनीति के व्युत्पन्न है। अरस्तू और हिप्पोक्रेट जैसे प्राचीन यूनानी दार्शनिकों ने अपने प्राकृतिक इतिहास पर अध्ययन मे पारस्थितिकी की नीव रखी। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत मे आधुनिक पारिस्थितिकी और अधिक सख्त विज्ञान बन गया। अनुकूलन और प्राकृतिक चयन से संबन्धित विकासवादी अवधारणाएं आधुनिक पारिस्थितिकी सिद्धान्त की आधारशिला बन गयी।
पारिस्थितिकी पर्यावरण अध्ययन का वह भाग है जिसमे हम जीवो, पौधो और जन्तुओं और उनके संबंधो या अन्य जीवित या गैर जीवित पर्यावरण पर परस्पराधीनता के बारे मे अध्ययन करते है । पारिस्थितिकी को जीव विज्ञान की शाखा के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है जो जीवो के एक दूसरे के साथ संबंधो और उनके भौतिक परिवेशो की चर्चा / व्याख्या करता है। इसे जीवो के मध्य अन्तः क्रिया और उनके परिवेश के वैज्ञानिक अध्ययन के रूप मे भी परिभाषित किया जा सकता है। पारिस्थितिकी शब्द का वास्तविक अर्थ “घर का अध्ययन” है। पारिस्थितिकी एक बहुआयामी विज्ञान है एवं विज्ञान की अन्य शाखाओ जैसे भूगोल, भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, भूतत्व, भौतिकी और रसायन विज्ञान के साथ इसका संबंध है।
विज्ञान की अन्य शाखाओ के साथ यह अंतर-संबंध इसे विज्ञान का एक सबसे महत्वपूर्ण शाखा बनाता है।
पारिस्थितिकी जीवन के सभी पहलुओं, छोटे जीवाणुओं से लेकर पूरे ग्रह के विस्तार की प्रक्रियाओं तक, के बारे मे चर्चा करती है। पारिस्थिति विज्ञानिओ के अध्ययन के अनुसार प्रजातियों मे परभक्षण और परागण जैसे अनेक असमानताये और जटिल संबंध पाये जाते है। जीवन की विविधता स्थलीय (मध्य) से लेकर जलीय परिस्थितिकी प्रणालियों तक अलग अलग निवासों मे सुनियोजित है।
पारिस्थितिकी वातावरण, पर्यावरणवाद, प्राकृतिक इतिहास या पर्यावरण विज्ञान का पर्याय नहीं है। इसका विकसवादी जीव विज्ञान, आनुवंशिकी और आचार विज्ञान से घनिष्ठ संबंध है।
साथ ही साथ पारिस्थितिकी एक मानव विज्ञान भी है। जीव संरक्षण पारिस्थितिकी के कई व्यावहारिक उपयोग है। संरक्षण जीव विज्ञान, आद्रभूमि प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधन (कृषि पारिस्थितिकी, कृषि, वानिकी, कृषि वानिकी, मत्स्य पालन), नगर नियोजन (शहरी पारिस्थितिकी), सामुदायिक स्वास्थ्य, अर्थशास्त्र, बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान, और मानव सामाजिक संपर्क (मानव पारिस्थिकी) में पारिस्थितिकी के कई व्यावहारिक उपयोग है।
उदाहरण के तौर पर, स्थिरता दृष्टिकोण का चक्र पर्यावरण की तुलना मे पारिस्थितिकी को अधिक मानते है। इसे मानवों से अलग नहीं समझा जाता है। जीव (मानव सहित) और पारिस्थितिक तंत्र रचना के संसाधनों के परिणाम स्वरूप, जैव भौतिकी प्रतिक्रिया तंत्र को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए जो ग्रह के जैविक और अजैविक घटको पर किए गए प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। पारिस्थितिक तंत्र जीवन के समर्थक कार्यो को बनाए रखता है, और बायोमास उत्पाद (खाद्य, ईंधन, फाइबर, और औषधि), जलवायु नियंत्रण, वैश्विक भू-जैव रसायनिक चक्र, पानी का छनना, मृदा निर्माण, कटाव नियंत्रण, बाढ़ सुरक्षा और वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, आर्थिक या आंतरिक मूल्य के कई अन्य प्राकृतिक विशेषताओ, जैसे प्राकृतिक पूंजी का उत्पादन करता है।
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