
भारत में सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बंद कर दिया गया है जो कि देश को प्लास्टिक मुक्त करने की दिशा में एक बहुत हे जरूरी कदम है. लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि प्लास्टिक की बोतल या कंटेनर के नीचे एक कोड होता है जिसमें विभिन्न संख्या होती है जैसे 1, 2, इत्यादि. क्या आप जानते हैं कि इस कोड का क्या अर्थ होता है? प्लास्टिक से बने सामान को कब तक इस्तेमाल करना चाहिए, किस प्रकार के प्लास्टिक के पदार्थ को उपयोग में लाना चाहिए? यदि नहीं, तो आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.
आजकल प्लास्टिक का उपयोग हर जगह हो रहा है. विशेष रूप से पानी को स्टोर करने के लिए प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग और पुन: उपयोग करना भारतीय परिवारों में काफी सामान्य है. एक या 2 लीटर की पेप्सी, कोक, लिम्का की बोतल का उपयोग महीनों के लिए किया जाता है साथ ही मिनरल वाटर की बोतल का भी.
परन्तु क्या आप जानते हैं कि इन प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग वास्तव में आप कब तक कर सकते हैं? इन बोतलों में पानी या अन्य खाद्य पदार्थों को रखने की सुरक्षित अवधि क्या होती है? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.
रेज़ीन आइडेंटीफिकेशन कोड (Resin Identification Code, RIC) कोड क्या है?
क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि प्लास्टिक की बोतल में निचे की तरफ कुछ त्रिभुज बना होता है और उस पर कुछ नंबर लिखा होता है जिसे हम कोड भी कहते है. ऐसा क्यों? इन नंबर्स का क्या अर्थ है, इन्हें क्यों लिखा जाता है? आइये देखते हैं.
जब भी आप कोई भी प्लास्टिक से बने सामान को खरीदते है या इस्तेमाल करते हैं तो आपने देखा होगा कि इन सबमें चाहे वो प्लास्टिक के डिब्बे, कंटेनर, बाल्टी, बोतल इत्यादि पर एक त्रिभुज से घिरा नंबर दिखता है. इसे रेज़ीन आइडेंटीफिकेशन कोड (Resin Identification Code, RIC) कहते हैं. अधिकतर ये बोतल या डिब्बे के नीचे होता है. कभी-कभी ये कोड प्लास्टिक से बने समान में कहीं और भी होता है. हम आपको बता दें कि रेज़ीन का अर्थ है राल या पदार्थ जिससे प्लास्टिक बना होता है. यानी कि प्लास्टिक कई प्रकार के पदार्थों या रेज़ीन से बन सकता है और उसका आइडेंटीफिकेशन कोड का अर्थ है पहचान करने का संकेत. इस कोड से बोतल की क्वालिटी और उसे यूज करने के बारे में जानकारी मिलती है.
मूल रूप से सोसायटी ऑफ द प्लास्टिक्स इंडस्ट्री द्वारा इस कोड को पेश किया गया था जो संयुक्त राज्य अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा विनिर्माण क्षेत्र है, RIC अब आधिकारिक तौर पर ASTM इंटरनेशनल, एक अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन द्वारा प्रशासित किया जा रहा है.
हम आपको बता दें कि प्लास्टिक की बोतल को बनाने में कुछ टॉक्सिक या जहरीले केमिकल्स का इस्तेमाल होता है. इन केमिकल्स का इस्तेमाल एक समान नहीं किया जाता है. इसलिए बोतल पर एक कोड दिया जाता है ताकि इसे देखकर बोतल के यूज करने का पता लग सके.
विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक के लिए कोड की संख्या 1 से 7 तक होती है.
यह कोड जानकारी देता है कि खतरे वाले रेज़ीन या खतरे वाले प्लास्टिक कौन-कौन से हैं. टोटल कोड 1 से लेकर 7 तक दिए जाते हैं. वहीं 1 से लेकर 6 तक कोड किसी स्पेसिफिक ‘प्लास्टिक पॉलीमर’ की पुष्टि करता है और कोड 7 एक जनरल श्रेणी है जिसमें वो सभी प्रकार के प्लास्टिक आजाते हैं, जो 1 से 6 तक में नहीं आते.
प्रत्येक प्रकार की प्लास्टिक के उपयोग और सीमाओं को समझने से आप अस्वास्थ्यकर और हानिकारक प्लास्टिक से दूर रह सकते हैं जो लंबे समय तक किसी भी तरह की गंभीर क्षति का कारण बन सकती है.
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कोड 1: PET या PETE (polyethylene terephthalate) का प्रतिनिधित्व करता है.
यह प्लास्टिक की सबसे आम प्रकार है जिसे आप औसत पेय की बोतलों के रूप में इस्तेमाल करते हैं जैसे कि कोल्ड ड्रिंक की बोतल, जार, ओवन-ट्रे, डिटर्जेंट और क्लीनर कंटेनर इत्यादि. इसके अलावा लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले, गिटार, पियानो वगैरह की फिनिशिंग के लिए भी इस ‘प्लास्टिक पॉलिमर’ का उपयोग होता है. PET छिद्रपूर्ण, बैक्टीरिया और अवशिष्ट पदार्थों को इकट्ठा करने की प्रवृत्ति वाला होता है, जिसका अर्थ है कि इस प्लास्टिक का लंबे समय तक उपयोग करना हानिकारक हो सकता है. यदि लंबे समय तक इन कंटेनर्स में कोई द्रव रखा जाए तो एंटीमनी नाम का एक पदार्थ रिसने लगता है. यह तब ज्यादा रिसता है जब इन कंटेनर्स को किसी गर्म या बंद जगह में रखा जाए.
PET को अपेक्षाकृत सुरक्षित ‘सिंगल यूज़’ या ‘यूज़ एंड थ्रो’ प्लास्टिक माना गया है और इसका रिसाव खतरनाक साबित हो सकता है इसलिए केवल एक बार ही इसका इस्तेमाल करें और गर्म जगह से दूर रखें.
कोड 2: HDPE या high density polyethylene का प्रतिनिधित्व करता है.
इसका अर्थ है कि व्यंजन उच्च घनत्व पॉलीथीन से बने होते हैं. यह पॉलीथीन सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ‘प्लास्टिक पॉलीमर’ है क्यूंकि इसको बनाना आसान है और ये बहुत सस्ता भी होता है जैसे प्लास्टिक बैग (किराना), दूध, पानी और जूस के कंटेनर्स बनाना इत्यादि. इसे स्टोर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि इनमें लीचिंग का कम जोखिम होता है और आमतौर पर रीसाइक्लिंग किया जा सकता है. कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि यह प्लास्टिक हार्मोनल समस्या पैदा करने वाला पदार्थ जैसे नोनिलफ़ेनॉल स्रावित कर सकता है, विशेषकर सूरज की रोशनी में.
कोड 3: PVC or polyvinyl chloride का प्रतिनिधित्व करता है.
ये प्लास्टिक पॉलीविनाइल क्लोराइड से बना होता है. हम में से अधिकांश PVC पाइप जो कि प्लंबिंग और अन्य ऐसे उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली ट्यूबों से काफी परिचित हैं. पीवीसी काफी कठिन और रफ़ होती है, इसे खाने के सामान को पकाने या उन्हें स्टोर करने के लिए अत्यधिक खतरनाक माना जाता है. खतरनाक होने के बावजूद इसका इस्तेमाल खिलौनों, शैंपू की बोतलों, माउथ वॉश की बोतलों, डिटर्जेंट और क्लीनर की बोतलों, खून की बोतलों, खिड़की के फ्रेम वगैरह में किया जा रहा है. हम आपको बता दें कि इस प्लास्टिक का उत्पादन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फाथेलेट्स हार्मोनल विकास को रोक सकते हैं और अन्य गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं.
कोड 4:LDPE या low density polyethylene का प्रतिनिधित्व करता है.
ये कम घनत्व वाले पॉलीथीन से बने उत्पाद होते हैं. इस प्रकार का प्लास्टिक आमतौर पर विभिन्न फिल्मों, पैकेजों, खाद्य और दवा उत्पादों की पैकेजिंग के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाता है. LDPE की रासायनिक संरचना इनको अधिक फ्लेक्सिबल और अधिक पतला बनाने में मदद करती है इसलिए ब्रेड, किराना, अख़बारों, आदि में इसकी पतली फ़िल्म का उपयोग किया जाता है. हालांकि इस तरह के प्लास्टिक को नियमित भंडारण के उपयोग के लिए व्यापक रूप से सुरक्षित माना गया है, लेकिन इसे आमतौर पर रीसाइक्लिंग के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता है. रेज़ीन आइडेंटीफिकेशन कोड 2 की ही तरह, अपेक्षाकृत स्थिर होने के नाते यह आमतौर पर भोजन और द्रव के कंटेनर के रूप में एक सुरक्षित प्लास्टिक माना गया है, हालांकि कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि यह हार्मोनल समस्या पैदा करने वाला पदार्थ – नोनिलफ़ेनॉल स्रावित कर सकता है, विशेषकर सूरज की रोशनी में.
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कोड 5: PP या polypropylene का प्रतिनिधित्व करता है.
इस प्रकार के व्यंजन प्रो-पॉलीप्रोपाइलीन से बने होते हैं. आमतौर पर यह प्लास्टिक कंटेनरों का उत्पादन करने के लिए उपयोग की जाती है, जैसे दही का कप, कुछ पानी की बोतलें, केचप की बोतलें और दवा के कंटेनर इत्यादि. ये व्यंजन गर्मी प्रतिरोधी हैं, और उबलते प्रतिरोधी भी हैं और इसमें सामग्री के गुण भी नहीं बदलते हैं. ऐसे उत्पादों में, आप माइक्रोवेव ओवन में भोजन को गर्म कर सकते हैं या उनसे गर्म पानी या पेय पदार्थों को भी पी सकते हैं. पॉलीप्रोपाइलीन भंडारण के उपयोग के लिए बहुत सुरक्षित है और इसे रीसाइक्लिंग के लिए भी व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अगर ये फैटी खाद्य पदार्थ या मादक पेय पदार्थों के संपर्क में आजाए, तो पदार्थ की क्वालिटी गिर जाएगी और खतरनाक फॉर्मल्डेहाइड को छोड़ना शुरू कर देगी, जिससे कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं.
कोड 6: PS या polystyrene, या Styrofoam का प्रतिनिधित्व करता है.
डिस्पोजेबल प्लास्टिक कप, प्लेट्स, अंडे के कार्टून, पैकेजिंग, बाइक हेलमेट और यूज़ एंड थ्रो प्लेट्स वगैरह के लिए इस प्रकार की प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है. मांस और मछली के उत्पादों को पैक करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है. नंबर 6 प्लास्टिक, हाल ही में अत्यधिक खतरनाक मानी गई है क्योंकि यह संभावित जहरीले रसायनों को खासकर गर्म होने पर स्रावित करती है. इसलिए इस प्रकार के कंटेनर को कभी भी गर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्म करने पर यह अपना आकार खो देता है और हानिकारक पदार्थों को छोड़ देगा. इस तरह के प्लास्टिक को रीसायकल करने में काफी दिक्कत आती है. यानी पॉलिस्टेयरन में से स्टेरिन का रिसाव हो सकता है. जो कैंसर का कारण बन सकता है. इसे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए भी एक विषाक्त पदार्थ माना गया है.
कोड 7: मूल रूप से उन प्लास्टिक का प्रतिनिधित्व करता है जो कि ऊपर सूचीबद्ध नहीं हैं.
इस श्रेणी में ऊपर दिए गए जैसे कोई स्पेशल प्रकार का पदार्थ नहीं आता है बल्कि इस प्रकार के प्लास्टिक में बचे हुए सारे प्लास्टिक्स आ जाते हैं या फिर कुछ नए खोजे गए प्लास्टिक. इस प्रकार वाले प्लास्टिक में कभी-कभी PC भी लिखा होता है जिसका अर्थ है पॉलीकार्बोनेट. ये बिस्फेनॉल A (बीपीए) का स्राव करता है जो कि कैंसर के खतरे सहित कई प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को बढ़ा सकता है. कहा जाता है कि इस तरह के प्लास्टिक को अपने रिस्क पर इस्तेमाल करना चाहिए और खाद्य पदार्थों को स्टोर करने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
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