भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराध की परिभाषा व का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता पर लागू नहीं होती।अनुच्छेद 370 हटने के बाद में भी अब भारतीय दण्ड संहिता (IPC) लागू है।
भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर होने के बाद)। औरने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश आदि) में भी लागू की गयी थी। लेकिन इसमें अब तक बहुत से संशोधन किये जा चुके है।
लोकसेवकों द्वारा या उनसे सम्बन्धित अपराध
धारा 161 से 164 लोक सेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराधों के विषय में
धारा 166 लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाने के आशय से विधि की अवज्ञा करना।
धारा 166 क कानून के तहत महीने दिशा अवहेलना लोक सेवक
धारा 166 ख अस्पताल द्वारा शिकार की गैर उपचार
धारा 167 लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है।
धारा 168 लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से व्यापार में लगता है
धारा 169 लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करता है या उसके लिए बोली लगाता है।
धारा 170 लोक सेवक का प्रतिरूपण।
धारा 171 कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना।
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