
भारतीय दण्ड संहिता भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराध की परिभाषा व का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता पर लागू नहीं होती।अनुच्छेद 370 हटने के बाद में भी अब भारतीय दण्ड संहिता (IPC) लागू है।
भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1860 में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर होने के बाद)। औरने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश आदि) में भी लागू की गयी थी। लेकिन इसमें अब तक बहुत से संशोधन किये जा चुके है।
- धारा 1 का नाम और उसके प्रर्वतन का विस्तार
यह अधिनियम भारतीय संहिता दण्ड संहिता कहलाएगा, और इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर होगा।
- अनुच्छेद 370 के हटाए जाने पर भारतीय दंड संहिता संपूर्ण भारत पर लागू होगा जिसमे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर भी शामिल है संविधान के अनुसूची 5 के तहत 109 क़ानून अब जम्मू और कश्मीर पर भी लागू होंगे जिसमें भारतीय दंड संहिता के साथ-साथ भी सम्मिलित हैं।
- धारा 2 भारत के भीतर किए गये अपराधों का दण्ड
हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं ।
- धारा 3 भारत से परे किए गये किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दंड
भारत से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का पात्र हो, भारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था ।
- धारा 4 राज्य-क्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार
इस संहिता के उपबन्ध –
(1) भारत के बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा ;
(2) भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या विमान पर, चाहे वह कहीं भी हो किसी व्यक्ति द्वारा, किए गए किसी अपराध को भी लागू है
स्पष्टीकरण – इस धारा में “अपराध” शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो, इस संहिता के अधीन दंडनीय होता ।दृष्टांत
क. जो भारत का नागरिक है उगांडा में हत्या करता है । वह भारत के किसी स्थान में, जहां वह पाया जाए, हत्या के लिए विचारित और दोषसिद्द किया जा सकता है ।
- धारा 5 कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना
इस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के ऑफिसरों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्यजन को दण्डित करने वाले किसी अधिनियम के उपबन्धों, या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबन्धों, पर प्रभाव नहीं डालेगी ।
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