ध्वज, किसी भी देश की आज़ादी और संप्रभुता का प्रतीक होता हैं | भारत बहुजनो का देश है जैसे हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई यहूदी, पारसी, और अन्य जाति और जनजाति जिनको ये राष्ट्रीय ध्वज एक सूत्रों में बांधने का काम करता है | भारत का राष्ट्रिय ध्वज भारत के लोगों के साथ-साथ स्वतंत्रता के लिए भारत के लंबे संघर्ष का भी प्रतिनिधित्व करता है| आइये भारतीय गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के बारे में अध्ययन करते हैं.
भारतीय तिरंगा हर भारत वासी का गौरव है. यह मात्र एक कपड़े का साधारण टुकड़ा नहीं है अपितु गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर पर फहराया जाता है और सलामी दी जाती है. विशेष रूप से, यह भारतीय राष्ट्रीय ध्वज सख्त दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित किया गया है.
“राष्ट्रीय ध्वज” किसी भी देश की आज़ादी और संप्रभुता का प्रतीक होता हैं| भारत बहुजनो का देश है जैसे हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई यहूदी, पारसी, और अन्य जाति और जनजाति जिनको ये राष्ट्रीय ध्वज एक सूत्रों में बांधने का काम करता है | भारत का राष्ट्रिय ध्वज भारत के लोगो के साथ-साथ स्वतंत्रता के लिए भारत के लंबे संघर्ष का भी प्रतिनिधित्व करता है| प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था “एक ध्वज/ झंडा न सिर्फ हमारी स्वतंत्रता बल्कि सभी लोगों की स्वतंत्रता का प्रतीक है।” भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पिंगली वेंकय्या द्वारा डिजाइन किया गया था जिसको भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई,1947 को अपनाया था.
क्या आप जानते हैं कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को कब अंगीकरण किया गया था
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की यात्रा इस प्रकार है:
• भारत का पहला ध्वज 1904-06 में स्वामी विवेकानंद की एक आयरिश शिष्य निवेदिता ने बनाया था जिसमे दो रंग (लाल और पीले) शामिल किये गए थे |
लाल रंग स्वतंत्रता संग्राम द्योतक है और पीला रंग जीत का प्रतीक है | इस ध्वज में बंगाली में ‘बोंदे मतोरम’, कमल का फूल और इंद्र देवता की वज्र शास्त्र का भी प्रयोग किया गया था|
• 1906 में एक और ध्वज को बनाया गया था जिसको कलकत्ता ध्वज / कमल ध्वज भी कहा जाता है | इस ध्वज में तीन रंगों (नारंगी, पीला और हरा) का प्रयोग किया गया था| ऐसा माना जाता है की इसे सचिन्द्र प्रसाद बोस और सुकुमार मित्रा डिज़ाइंड किये थे|

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इस ध्वज का ध्वजारोहण 7 अगस्त 1906 में, भारत की एकता और अखंडता के लिए किया गया था|
• 1907 में एक और ध्वज को मैडम भीकाजी कामा, विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) और श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा डिजाइन किया गया था|

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यह पहला ध्वज था जिसको विदेशी सरजमीं पर फहराया गया था| यह ध्वज सर्वोच्च ग्रीन होने के नाते बीच में स्वर्ण केसर और नीचे लाल रंग शामिल थे।
• 1917 में बाल गंगाधर तिलक ने एक ध्वज को बनया जिसके शीर्ष पर यूनियन जैक था। ध्वज में पांच लाल और हरे रंग के चार स्ट्रिप्स निहित थी ।

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इसमें सप्तऋषि ‘नक्षत्र की आकृति भी थी जो कि हिंदुओं के लिए पवित्र मानी जाती है। पर इस ध्वज को आम जनता के बीच लोकप्रियता हासिल नहीं हुई ।
• 1921 में गांधीजी के आग्रह से एक और ध्वज को डिज़ाइन किया गया, जिसमे शीर्ष पर तो सफेद, फिर हरा रंग और नीचे में लाल था। सफेद रंग भारत का, हरा मुसलमानों के अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतीक है और लाल हिंदू और सिख समुदायों का प्रतिनिधित्व करता था । ‘चरखा’ इन समुदायों के एकीकरण का प्रतीक के तौर पर तैयार किया गया था। इस ध्वज की तर्ज पर आयरलैंड का ध्वज भी डिज़ाइन किया गया था क्युकि वह भी अपनी स्वतंत्रता पाने के लिए ब्रिटेन से संघर्ष कर रहा था। कांग्रेस कमेटी इसको आधिकारिक ध्वज के रूप में अपनाने के लिए ही नहीं बल्कि व्यापक रूप से भारत की आजादी की लड़ाई में राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में इसको इस्तेमाल कर रही थी ।

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• 1931 में एक और ध्वज को डिज़ाइन किया गया था जिसमे केसरिया का प्रयोग किया गया है जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों के प्रतीक है जैसे की हिंदू योगियों के साथ ही मुस्लिम दरवेश के रंग केसरिया|

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• अंततः 1947 में एक समिति राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में भारत के राष्ट्रीय ध्वज का चयन करने के लिए गठित की गई थी। समिति स्वतंत्र भारत के ध्वज के रूप में , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे को अपनाने का फैसला उपयुक्त संशोधनों के साथ- साथ 1931 के ध्वज को भारतीय ध्वज के रूप में अपनाया गया, लेकिन बीच में ‘चरखा’ की जगह ‘चक्र’ (पहिया) द्वारा बदल दिया गया और इस प्रकार हमारा राष्ट्रीय ध्वज अस्तित्व में आया।

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राष्ट्रीय ध्वज तथ्यों पर एक नज़र
I. राष्ट्रीय ध्वज, तीन क्षैतिज रंगों का ध्वज है। इसमें सबसे ऊपर गहरा केसरिया रंग, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी है।
II. ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।
III. केसरिया रंग साहस, बलिदान और त्याग को बताता है। सफेद रंग सच्चाई और विचारों की पवित्रता एवं गहरा हरा रंग जीवन की समृद्धि का प्रतीक है।
IV. सफेद पट्टी के मध्य में एक ‘चक्र’ है जो की प्रगति और गतिशीलता का प्रतीक है। यह अशोक चक्र से लिया गया है जो कि नीले रंग का पहिया है जिसमे 24 तीलियां हैं। इस चक्र का व्यास, ध्वज की सफेद पट्टी की चौड़ाई के तीन-चौथाई के लगभग है।
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V. कानूनी तौर पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज खादी से बनाया जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज, खादी सूत या सिल्क के धागों से बुना विशेष प्रकार का कपड़ा होता है जिसे महात्मा गांधी ने लोकप्रिय बनाया था।
VI. सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में संविधान के अनुच्छेद 19 (i) (ए) के तहत ध्वज फहराने के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में घोषित किया था।
VII. भारत के राष्ट्रीय ध्वज को बनाने का अधिकार खादी विकास एवं ग्रामोद्योग आयोग को है, जो इस काम को क्षेत्रीय समूहों को आवंटित करता है।
क्या आप जानते हैं :
• भारतीय ध्वज को दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी, माउंट एवरेस्ट पर 29 मई, 1958 को फहराया गया था।
• भारतीय राष्ट्रीय ध्वज 1984 में अंतरिक्ष में भी फहराया गया था, जब विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे । यह झंडा राकेश शर्मा के अंतरिक्ष सूट पर एक पदक के रूप में भी जुड़ा था।
जाने राष्ट्रीय ध्वज के आचार संहिता के बारे में:
राष्ट्रीय प्रतीक होने के नाते सभी भारतीय इसका सम्मान करते हैं। भारतीय ध्वज के बारे में आम जनता के लिए कुछ निर्देश जारी किए गए हैः
• जब राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जाए तो केसरिया रंग शीर्ष पर हो।
• राष्ट्रीय ध्वज के उपर या उसकी दाईं तरफ कोई भी अन्य ध्वज या प्रतीक न रखा जाए।
• सभी अन्य ध्वज, यदि वे एक रेखा में लगाए गए हैं, तो उन्हें राष्ट्रीय ध्वज की बाईं तरफ रखा जाए।
• राष्ट्रीय ध्वज को जब किसी जुलूस या परेड में शामिल किया जाए और अन्य ध्वज की पंक्ति हो तो यह पंक्ति के मध्य के सामने या दाईं और होगा ।
• आमतौर पर राष्ट्रीय ध्वज को महत्वपूर्ण सरकारी भवनों जैसे राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, उच्च न्यायालय, सचिवालय, आयुक्त के कार्यालय आदि पर फहराया जाना चाहिए।
• राष्ट्रीय ध्वज या इसकी अनुकृति का प्रयोग व्यापार, व्यवसाय या पेशे के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
• राष्ट्रीय ध्वज को शाम में सूर्यास्त के समय हमेशा उतार लिया जाना चाहिए।
• 26 जनवरी 2002, से फ्लैग कोड बदल गया है। अब भारतीयों को कहीं भी किसी भी समय गर्व के साथ झंडा फहराने की आजादी दे दी गयी है।

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