प्राचीन समय में भारत को विश्व में आध्यात्मिक गुरू के रूप में जाना जाता था लेकिन अब भारत व्यापार के क्षेत्र में भी नई ऊँचाइयों को छू रहा है| भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार (जीडीपी नाममात्र के संदर्भ में) 3444 बिलियन डॉलर है। अतः वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की 6ठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है| आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि “नासा” में 36% वैज्ञानिक भारतीय हैं|
साल 1947 में जब अंग्रेज भारत से वापस जा रहे थे तो उन्होंने भारत को एक भीषण गृहयुद्ध में झोंक दिया था| उस समय किसने यह सोचा था कि अंग्रेजों के जाने के कुछ ही समय बाद एक भारतीय कंपनी जगुआर, लैंड रोवर और मशहूर चाय ब्रांड “टेटली” का स्वामित्व अपने हाथों में ले लेगी| इसी प्रकार किसने सोचा होगा कि भारतीय कंपनी “टाटा”, स्टील कंपनी “कोरस” को खरीदकर अंग्रेजों को उन्हीं के देश में नौकरी प्रदान करेगी|
प्राचीन समय से ही भारत को आध्यात्मिक गुरू के रूप में देखा जाता रहा है और भारत ने उस विरासत को जारी रखते हुए पूरी दुनिया के लिए 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में मान्यता दिलवाई है| लेकिन अब भारत न केवल आध्यात्मिकता के क्षेत्र में विश्वगुरू है बल्कि वह व्यापार के क्षेत्र में भी नई ऊँचाइयों को छू रहा है| फोर्ब्स पत्रिका की दुनिया के 100 सबसे अमीर व्यक्तियों की वर्ष 2016 की सूची में कुछ भारतीय भी शामिल हैं जिनमें मुकेश अंबानी का स्थान 36 वां, दिलीप सांघवी का स्थान 44वां, अजी
भारत की 7 कंपनियों को 2016 की फार्च्यून 500 सूची में शामिल किया गया है, जिनमें इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का स्थान 161 वां, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का स्थान 215 वां, टाटा मोटर्स का स्थान 226 वां, एसबीआई का स्थान 232 वां, भारत पेट्रोलियम का स्थान 358 वां, हिंदुस्तान पेट्रोलियम का स्थान 367 वां एवं इस सूची में पहली बार शामिल किये गए राजेश ज्वेलर्स का स्थान 423 वां है|
आइये अब हम एक भारतीय के रूप में गौरवान्वित महसूस करने के प्रमुख कारणों के बारे में बात करते हैं:-
भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आउटलुक द्वारा 2015 के जारी आंकड़ों के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार (जीडीपी नाममात्र के संदर्भ में) 3444 बिलियन डॉलर है। अतः वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की 6ठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह इस मामले में फ्रांस, इटली, ब्राजील और कनाडा जैसी प्रमुख विश्व शक्तियों से भी आगे है|
भारत जो सालों से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से ऋण लेने वाले देशों की सूची में अग्रणी था वह अब इस बहुपक्षीय संस्था के लिए एक ऋणदाता बन गया है| भारत ने जून 2003 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में 291.70 लाख डॉलर का योगदान दिया है।
1991 में जहाँ एक समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) सिर्फ 2 अरब डॉलर था वहीं 19 अगस्त 2016 को समाप्त सप्ताह में भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) 368 अरब डॉलर हो गया है|
सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र: भारत सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा बाजार है| एक आंकड़े के अनुसार विश्व की कुल सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग का मूल्य 130 अरब अमेरिकी डॉलर है और यह प्रति वर्ष 8.3% की दर से बढ़ रहा है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 67% है| इस उद्योग में लगभग 10 लाख लोग कार्यरत हैं| यह क्षेत्र भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 10% का योगदान दे रहा है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी: भारत दुनिया में प्रौद्योगिकी लेनदेन के मामले में सबसे आकर्षक निवेश स्थान के रूप में उभर रहा है। इसरो ने भारत के लिए अंतरिक्ष नेविगेशन उपग्रह प्रणाली विकसित की है। इसका मतलब यह है कि भारत के पास खुद का जीपीएस संस्करण है। भारत ने सिंगापुर, ब्रिटेन एवं अन्य कई देशों को उपग्रह प्रक्षेपण में मदद की है| इसके अलावा भारत ने बिना किसी दूसरे देश की सहायता से चन्द्र मिशन और मंगल मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया है|
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