प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया इसलिए कहा जाता था क्योंकि भारत में काफी धन सम्पदा मौजूद थी. 1600 ईस्वी के आस-पास भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1305 अमेरिकी डॉलर थी जो कि उस समय अमेरिका, जापान, चीन और ब्रिटेन से भी अधिक थी. भारत की यह संपत्ति ही विदेशी आक्रमणों का कारण भी बनी थी. भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था?
Independence Day 2021: प्राचीन काल में भारत को सोने की चिड़िया इसलिए कहा जाता था क्योंकि भारत में काफी धन सम्पदा मौजूद थी. 1600 ईस्वी के आस-पास भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1305 अमेरिकी डॉलर थी जो कि उस समय अमेरिका, जापान, चीन और ब्रिटेन से भी अधिक थी. भारत की यह संपत्ति ही विदेशी आक्रमणों का कारण भी बनी थी.
India as Golden Bird
Independence Day 2021: हम सभी भारतीय लोग बचपन से सुनते आ रहे हैं कि भारत कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था इसी के कारण विदेशी आक्रान्ताओं और अंग्रेजों ने इस देश को अपना गुलाम बनाया था और अपार संपत्ति इस देश से लूटकर ले गये थे. इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर भारत को सोने की चिड़िया किन तथ्यों के आधार पर कहा जाता था.
प्राचीन भारत वैश्विक व्यापार का केंद्र था. प्राचीन काल में भारत, खाद्य पदार्थों, कपास, रत्न, हीरे इत्यादि के निर्यात में विश्व में सबसे आगे था. भारत उस समय विश्व का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र था. कुछ लोग मानते हैं कि भारत प्राचीन काल में केवल मसालों के निर्यात में आगे था, उनकी जानकारी के लिए यह बताना जरूरी है कि भारत मसालों के अलावा कई अन्य उत्पादों के निर्यात में भी अग्रणी देश था.
भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुएं: भोजन: कपास, चावल, गेहूं, चीनी जबकि मसालों में मुख्य रूप से हल्दी, काली मिर्च, दालचीनी, जटामांसी इत्यादि शामिल थे. इसके अलावा आलू, नील, तिल का तेल, हीरे, नीलमणि आदि के साथ-साथ पशु उत्पाद, रेशम, चर्मपत्र, शराब और धातु उत्पाद जैसे ज्वेलरी, चांदी के बने पदार्थ आदि निर्यात किये जाते थे..
भारत विश्व का सबसे बड़ा व्यापारी:
1000 वर्षों के मुगल / अन्य आक्रमणकारियों के शासन के बाद भी, विश्व की जीडीपी में भारत की अर्थव्यवस्था का योगदान 25% के बराबर था. इसी समय में अंग्रेजों ने भारत पर कब्ज़ा किया था लेकिन जब अंगेज भारत को छोड़कर गए तो भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में योगदान मात्र 2 to 3% रह गया था, लेकिन आज भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.
मुगलों के शासन शुरू करने से पहले, भारत 1 A.D. और 1000 A.D. के बीच दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी. जब मुगलों ने 1526-1793 के बीच भारत पर शासन किया, इस समय भारत की आय (17.5 मिलियन पाउंड), ग्रेट ब्रिटेन की आय से अधिक थी. वर्ष 1600 AD में भारत की प्रति व्यक्ति GDP 1305 डॉलर थी जबकि इसी समय ब्रिटन की प्रति व्यक्ति GDP 1137 डॉलर, अमेरिका की प्रति व्यक्ति GDP 897 डॉलर और चीन की प्रति व्यक्ति GDP 940 डॉलर थी. इतिहास बताता है कि मीर जाफर ने 1757 में ईस्ट इंडिया कंपनी को 3.9 मिलियन पाउंड का भुगतान किया था. यह तथ्य भारत की सम्पन्नता को दर्शाने के लिए बड़ा सबूत है.
1500 A.D के आस-पास दुनिया की आय में भारत की हिस्सेदारी 24.5% थी जो कि पूरे यूरोप की आय के बराबर थी.
सिक्कों को बनाने वाले पहले देशों में शामिल;
600 B.C के आस-पास महाजनपदों ने चांदी के सिक्के के साथ सिक्का प्रणाली शुरू की थी. ग्रीक के साथ-साथ पैसे पर आधारित व्यापार को अपनाने वाले पहले देशों में भारत का स्थान अग्रणी था. लगभग 350 ईसा पूर्व, चाणक्य ने भारत में मौर्य साम्राज्य के लिए आर्थिक संरचना की नींव डाली थी.
मयूर सिंहासन
भारत को सोने की चिड़िया कहने के पीछे जो एक सबसे बड़ा कारण हुआ करता था, वो मयूर सिंहासन था. इस सिंहासन की अपनी एक अलग ही पहचान हुआ करती थी. कहा जाता था कि इस सिंहासन को बनाने के लिए जितना धन लगाया गया था, उतने धन में दो ताज महल का निर्माण किया जा सकता था. लेकिन साल 1739 में फ़ारसी शासक नादिर शाह ने एक युद्ध जीतकर इस सिंहासन को हासिल कर लिया था.

मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहां द्वारा 17वीं शताब्दी में शुरू किया गया था. इतिहाकारों के अनुसार, मयूर सिंहासन को बनाने के लिए करीब एक हजार किलो सोने और बेश कीमती पत्थरों का प्रयोग किया गया था. मयूर सिंहासन की कीमत उसमें लगे कोहिनूर हीरे के कारण बहुत बढ़ गयी थी. आज के ज़माने में मयूर सिंहासन की अनुमानित कीमत 450 करोड़ रुपये की होती है. इतना कीमती होने के कारण ही नादिर शाह इसे लूटकर ले गया था.
कोहिनूर हीरा:
कोहिनूर हीरे का बजन 21.6 ग्राम है और बाजार में इसकी वर्तमान कीमत 1 अरब डॉलर के लगभग आंकी जाती है. यह हीरा गोलकुंडा की खदान से मिला था और दक्षिण भारत के काकतीय राजवंश को इसका प्राथमिक हकदार माना जाता है. आजकल यह ब्रिटेन के महारानी के मुकुट की शोभा बढ़ा रहा है.

महमूद ग़जनी की लूट
महमूद गजनी का सोमनाथ के मंदिर पर हमला करने के पीछे 2 सबसे बड़े उद्येश्य थे, एक इस्लाम का प्रचार करना और दूसरा भारत से धन की लूट करना. महमूद गजनी ने नवम्बर 1001 में पेशावर के युद्ध में जयपाल (964 से 1001 C.E. तक हिंदू शाही राजवंश के शासक थे) को हराया था. गजनी ने इस युद्ध में किले से 4 लाख सोने के सिक्के लूटे और एक सिक्के का वजन 120 ग्राम था. इसके अलावा उसने राजा के लड़कों और राजा जयपाल को छोड़ने के लिए भी 4.5 लाख सोने के सिक्के लिए थे. इस प्रकार उसने आज के समय के हिसाब से लगभग 1 अरब डॉलर की लूट सिर्फ राजा जयपाल के यहाँ की थी. जबकि इस समय भारत में जयपाल जैसे बहुत से धनी राजा थे.
सोमनाथ मंदिर की लूट
सन 1025 में महमूद ने गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर लूट लिया और इसकी ज्योतिर्लिंग तोड़ दी थी. इस आक्रमण से उसने 2 मिलियन दिनारों की लूट की जिसकी अनुमानित कीमत आज की तारीख में 45 करोड़ रुपये के लगभग बैठती है. उस समय के हिसाब से यह बहुत बड़ी लूट थी.
मंदिरों में सोने के भंडार
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कुछ समय पहले एक आकलन में कहा था कि भारत में अभी भी 22,000 टन सोना लोगों के पास है जिसमें लगभग 3,000-4,000 टन सोना भारत के मंदिरों में अभी भी है. एक अनुमान के मुताबिक भारत के 13 मंदिरों के पास भारत के सभी अरबपतियों से भी ज्यादा धन है. यदि मंदिर के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाये तो भारत कल भी सोने के चिड़िया था और आज भी है.

भारत के कुछ मंदिरों में इतना सोना रखा हुआ है कि कुछ राज्यों की पूरी आय भी मंदिरों की आय से कम है. अगर वर्ष 2018-19 के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि केरल सरकार की वार्षिक आय 1.03 लाख करोड़ है जो कि केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के किसी गर्भ गृह के एक कोने में ही मिल जायेगा.
उपर्युक्त आकंडे सिद्ध करते हैं कि प्राचीन भारत में अकूत संपत्ति थी जिसके कारण यहाँ पर विदेशी आक्रमणकारियों के हमले होते रहे थे. लेकिन अगर बीते समय को छोड़कर वर्तमान में देखा जाये तो भारत की स्थिति विकसित देशों की तुलना में निश्चित रूप से ख़राब है. लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं है कि भारत पूरे विश्व में बहुत तेजी से अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहा है और वह समय बहुत जल्द आएगा जब लोग इस देश को फिर सोने की चिड़िया के नाम से बुलायेंगे.
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