
मूड के बजाय योजना के अनुसार काम करें

- किताबों से जानिए, क्यों मूड के हिसाब नहीं चलना चाहिए और योजना पर टिके रहने चाहिए, कैसे अस्थायी असफलता को विफलता से अलग किया जाता है ?
सफलता की सबसे पहली शर्त है दृढ़-निश्चय
सफल वही होता है जो लगातार बिना रुके बढ़ता है। जिसका निश्चय अडिग है, वो तब तक संतुष्ट नहीं होता जब तक लक्ष्य को प्राप्त न कर ले। दृढ़- निश्चय, सफलता की प्रथम शर्त है। साथ में साहस और आत्मविश्वास होना चाहिए। जिसमें दृढ़-निश्चय का अभाव होता है, वह सफलता के मार्ग पर कुछ कदम तो चलता है पर बाद में थक-हारकर पलायन कर जाता है।(जीतना है तो जिद करो)
नियमित संकल्प लें और उन्हें पूरा करते रहें
कोई काम शुरू करते समय अपने मूड से सलाह न लें। यानी अपने मूड के हिसाब से नहीं, अपने लक्ष्य और योजना के अनुसार काम करें। जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का कई बार लिखने का मूड नहीं होता था, लेकिन वो लिखते थे क्योंकि उन्होंने साहित्यकार बनने के अपने लक्ष्य को नजरों से ओझल नहीं होने दिया। उन्होंने संकल्प किया कि वो हर दिन लिखेंगे, चाहे मूड कैसा भी हो।(टाइम मैनेजमेंट)
सही सवाल पूछना क्यों जरूरी होता है
पूछना भी उतना ही जरूरी है जितना सुनना। एक अच्छा सवाल ही अच्छा जवाब खोजता है। अगर हम सही सवाल पूछें, हमें अच्छे जवाब मिलेंगे। गलत सवाल हमेशा गलत जवाब ही लेकर आते हैं। जीवन में उन्नति के लिए पूछना हमेशा फायदेमंद होता है। क्योंकि हम सभी जानकारी चाहते हैं और हमारे निर्णय उतने ही अच्छे होते हैं जितनी अच्छी हमारी जानकारी है।(पावर ऑफ अ पॉजिटिव एटिट्यूड)
अस्थायी हार को स्थायी विफलता नहीं मानें
आपकी कोई योजना असफल होती है तो वह अस्थायी हार है, स्थायी विफलता नहीं है। इसका मतलब है कि आपकी योजना सही नहीं थी। अन्य योजनाओं का निर्माण करें। फिर से आरंभ करें। बल्ब बनाने से पहले थॉमस एडिसन दस हजार बार असफल हुए थे। सफलता का ताज पहनाए जाने से पहले उन्हें करीब दस हजार बार अस्थायी हार मिली थीं।(थिंक एंड ग्रो रिच)