बिहार में बाढ़ की हालत बिगड़ने के बाद मौसम विभाग ने वहां पर येलो अलर्ट जारी कर दिया है. मौसम विभाग, इस अलर्ट के अलावा अन्य अलर्ट जैसे रेड अलर्ट, ऑरेंज अलर्ट, और ग्रीन अलर्ट को जारी करता है. चेतावनी देने के लिए रंगों का चुनाव कई एजेंसियों के साथ मिलकर किया जाता है. इन अलर्ट को मौसम के ख़राब होने की तीव्रता के आधार पर जारी किया जाता है. यानि भीषणता के माध्यम से रंग बदलते रहते हैं. क्या आप इन सभी अलर्ट का मतलब जानते हैं.? यदि नहीं तो आइये इस वीडियो के माध्यम से जानते हैं.
मौसम विभाग द्वारा मौसम से संबंधित चेतावनी देने के लिए रेड अलर्ट, ऑरेंज अलर्ट, येलो अलर्ट और ग्रीन अलर्ट को जारी किया जाता है. चेतावनी देने के लिए रंगों का चुनाव कई एजेंसियों के साथ मिलकर किया जाता है. इन अलर्ट को मौसम के ख़राब होने की तीव्रता के आधार पर जारी किया जाता है. यानि भीषणता के माध्यम से रंग बदलते रहते हैं. सबसे भीषण चक्रवात के लिए रेड अलर्ट जारी किया जाता है.
आइये इन अलर्ट के बारे में विस्तार से जानते हैं;
1. रेड अलर्ट: जब भी कोई चक्रवात अधिक तीव्रता के साथ आता है जैसे तेज बारिश के साथ हवा की रफ़्तार 130 किमी. प्रति घंटा (केवल यही एक पैमाना नहीं) से अधिक तो मौसम विभाग की ओर से तूफ़ान की रेंज में पड़ने वाले इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया जाता है और प्रशासन से जरूरी कदम उठाने के लिए कहा जाता है.
रेड अलर्ट का मतलब होता है खतरनाक स्थिति. मौसम विभाग का कहना है कि जब मौसम खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और भारी नुकसान होने का खतरा रहता है तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है.
इस प्रकार के अलर्ट की घोषणा तभी की जाती है जब 30 मिमी. से अधिक बारिश की संभावना हो और यह कम से कम 2 घंटे तक होती ही रहे. ज्यादातर मामलों में निचले इलाकों में रह रहे लोगों को बाहर निकाल लिया जाता है क्योंकि तेज बारिश के कारण बाढ़ आने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
2. ऑरेंज अलर्ट: मौसम विभाग का कहना है कि जैसे-जैसे मौसम खराब होता जाता है, वैसे ही येलो अलर्ट को अपडेट करके ऑरेंज अलर्ट जारी किया जाता है. ऑरेंज अलर्ट के अंतर्गत इस प्रकार की वार्निंग जारी की जाती है ” इस चक्रवात के कारण मौसम के बहुत अधिक ख़राब होने की संभावना है जो कि सड़क और वायु परिवहन को नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ जान और माल की क्षति भी कर सकता है.
इसलिए लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जाती है. इस प्रकार की वार्निंग जारी किये जाने वाले चक्रवात में हवा की स्पीड लगभग 65 से 75 किमी. प्रति घंटा होती है और 15 से 33 मिमी. की घनघोर बारिश होने की संभावना रहती है. इस अलर्ट में प्रभावित क्षेत्र में खतरनाक बाढ़ आने की प्रबल संभावना होती है. इस प्रकार के अलर्ट की सूचना में लोगों को प्रभावित एरिया से बाहर निकालने का प्लान तैयार रखना पड़ता है.
3. येलो अलर्ट: मौसम विभाग येलो अलर्ट का प्रयोग लोगों को सचेत करने के लिए करता है. इसका मतलब होता है खतरे के प्रति सचेत रहें उदासीन नहीं. बता दें यह अलर्ट जस्ट वॉच का सिग्नल है. इस प्रकार की चेतवानी में 7.5 से 15 मिमी. की भारी बारिश होती है जो कि अगले 1 या 2 घंटे तक जारी रहने की संभावना होती है जिसके कारण बाढ़ आने की संभावना रहती है. इस अलर्ट में मौसम पर लगातार कड़ी नजर रखी जाती है.
4. ग्रीन अलर्ट: कई बार मौसम विभाग द्वारा ग्रीन अलर्ट जारी किया जाता है. इसका मतलब होता है कि संबंधित जगह पर कोई खतरा नहीं है.
अलर्ट घोषित होने की स्थिति में निम्न सावधानियां बरतीं जानी चाहिए;
1. अलर्ट जारी होने की स्थिति में लोगों को सबसे पहले अपने घर पहुंचना चाहिए और यदि चक्रवात ज्यादा खतरनाक होने की संभावना हो तो सरकार द्वारा बनाये गए सुरक्षित स्थलों पर चले जाना चाहिए.
2. चक्रवात की प्रगति की जानकारी के लिए अपने पोर्टेबल रेडियो को सुनते रहें
3. घर की लाइट और गैस कनेक्शन को बंद कर दें
4. सुनिश्चित करें कि पालतू जानवरों को सुरक्षित रूप से आश्रय दिया गया है
5. अपने घर के सबसे मजबूत, सबसे सुरक्षित हिस्से (आंतरिक दालान, बाथरूम या शौचालय) या निकटतम कल्याण केंद्र में तुरंत जाएं
6. दरवाजे और खिड़कियों से दूर रहें और उन्हें बंद रखें
7. अपना आपातकालीन किट अपने साथ रखें
इस प्रकार स्पष्ट है कि इस प्रकार की वार्निंग जारी करने के पीछे सरकार और अन्य एजेंसियों का मुख्य मसकद किसी भी चक्रवात से होने वाले जान और माल के नुकसान को कम करना होता है और इस प्रकार की सूचनाएँ वाकई में लोगों की मददगार साबित होतीं हैं.
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