महाराष्ट्र के बुलढाणा जिला में लोनर झील स्थित है.यह झील अधिसूचित राष्ट्रीय भौगोलिक धरोहर स्मारक है. लोनार झील मुंबई से 500 किमी दूर बुलढाणा जिले में है. वर्तमान में इस झील का पानी गुलाबी हो जाने के कारण यह झील काफी चर्चा में है. आइये इस लेख में लोनर झील के बारे में और इसके पानी का रंग बदलने के कारणों के बारे में चर्चा करते हैं.

लोनार झील डेक्कन ट्रैप (जो भारत में एक विशाल बेसाल्टिक क्षेत्र है) के भीतर पाए जाने वाले एकमात्र ज्ञात अलौकिक गड्ढे के भीतर स्थित है. शुरुआत में इसे एक ज्वालामुखी का मुहाना माना गया लेकिन बाद में हुए परीक्षणों से पता चला कि यह झील एक धूमकेतु या एक क्षुद्रग्रह के पृथ्वी के टकराने से बनी है.
लोनर झील का निर्माण और इतिहास (History and Formation of Lonar Lake)
लोनार झील को लोनार क्रेटर भी कहा जाता है. इसका निर्माण 35,000 से 50,000 साल पहले एकभारी उल्का पिंड के गिरने से प्लेइस्टोसिन युग में हुआ माना जाता है. झील में पानी खारा और क्षारीय दोनों
लोनार झील का उल्लेख सबसे पहले स्कंद पुराण और पद्म पुराण जैसे प्राचीन शास्त्रों में किया गया था. झील पर जाने वाला पहला यूरोपीय 1823 में एक ब्रिटिश अधिकारी, जेई अलेक्जेंडर था.
आइन-ए-अकबरी, एक दस्तावेज जो 1600 CE में लिखा गया है, इस झील के बारे में कहता है;
ये पहाड़ कांच और साबुन बनाने के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। और यहां शोरा (saltpetre) का काम होता है जिससे कर के रूप में राज्य को अच्छी मात्रा में टैक्स मिलता है. इन पहाड़ों पर खारे पानी का झरना है, लेकिन केंद्र और किनारों का पानी बिल्कुल ताजा है.
लोनर झील के बारे में तथ्य (Facts about Lonar Lake)
स्थान: बुलढाणा जिला, महाराष्ट्र
टाइप: इफेक्ट क्रेटर लेक, सॉल्ट लेक
मूल नाम: लोवर सरोवर (मराठी)
अधिकतम लंबाई: 1,830 मीटर (6,000 फीट)
सतह क्षेत्रफल: 1.13 वर्ग किमी
औसत गहराई: 137 मीटर (449 फीट)
अधिकतम गहराई: 150 मीटर (490 फीट)
पानी का प्रकार: खारा
लोनार झील का पानी पिंक क्यों हुआ?(Why Lonar Lake turned Pink)
लोनार झील संरक्षण एवं विकास समिति के सदस्य गजानन खराट का कहना है कि इस झील का पानी खारा है और इसका पीएच स्तर 10.5 है. गजानन के अनुसार पानी की सतह से एक मीटर नीचे ऑक्सीजन नहीं है जबकि इस झील में शैवाल हैं और गर्मी की वजह से इसका पानी कम हो गया है जिससे इसकी लवणता में वृद्धि हुई है.
इस प्रकार पानी के पिंक होने के पीछे पानी की लवणता और शैवाल हो सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया में भी एक पिंक रंग की झील है जिसका रंग शैवालों के कारण ही पिंक रहता है.
इसके अलावा पानी के रंग में इस बदलाव का वैज्ञानिक कारण यह हो सकता है कि लोनार झील में हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना नाम के कवक पाए जाते हैं जिसकी वजह से पानी का रंग पिंक हुआ है.
ऐसा हो सकता है कि “निसर्ग” तूफान की वजह से बारिश हुई जिस कारण हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना कवक झील की तलहट में बैठ गए और पानी का रंग पिंक हो गया हो.
फ़िलहाल पानी के रंग में इस बदलाव की असल वजह क्या है इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है? सच्चाई का पता सिर्फ वैज्ञानिक परीक्षण के बाद ही पता चलेगा.

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