अपने देश का नहीं है समोसा, जानिए कैसे पहुंचा ये भारत? दिलचस्प है इसके यहां आने की कहानी

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देश में अरबों रुपयों का समोसे का बिजनेस होता है. एक अनुमान के मुताबिक, देश में रोजाना लगभग 7 से 8 करोड़ समोसे खा लिए जाते हैं. ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि समोसा भारत की ही डिश है

नाश्ते में समोसा और चाय… देश में बहुत सारे लोगों के ये कॉम्बिनेशन पसंद है. समोसा ज्यादातर लोगों को पसंद है. देश के हर शहर की गली-मोहल्लों में समोसे खूब बिकते हैं. समोसे के स्वाद को और बढ़ाने के लिए लोग इसमें दही, चटनी और छोले आदि चीजें डालकर खाते हैं. अगर लोगों से पूछा जाए कि समोसा कहां की डिश है, तो 99% लोगों का जवाब होगा कि समोसा भारत की डिश है. भारत में ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि समोसा अपने देश की ही डिश है. लेकिन ऐसा नहीं है

देश में अरबों रुपयों का समोसे का बिजनेस होता है. एक अनुमान के मुताबिक, देश में रोजाना लगभग 7 से 8 करोड़ समोसे खा लिए जाते हैं. आमतौर पर एक समोसा 10 रुपये का बिकता है. अगर इस हिसाब से भी देखें तो देश में समोसे का कारोबार काफी बड़ा है. आजकल तो समोसा भारत से विदेश में भी निर्यात होने लगा है. एक समय में एक से दो रुपये में मिलने वाला समोसा अब 10 से 18 रुपये तक में बिकने लगा है. हालांकि, इसके बाद भी लोग समोसा खा रहे हैं और इसे भारत का समझते

भारत में कहां से आया समोसा?

समोसे का इतिहास भी काफी पुराना है. बहुत पहले यह ईरान (Iran) से भारत आया था. फारसी में इसका नाम ‘संबुश्क’ था, जो भारत समोसा बनकर पहुंचा. कई जगहों पर तो इसे Sambusa और Samusa भी कहा जाता था. बिहार और पश्चिम बंगाल में इसे सिंघाड़ा (Singhara) कहा जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि यह सिंघाड़े की तरह दिखता है

11वीं सदी में मिलता है इसका जिक्र

इतिहास में सबसे पहले समोसे का सबसे पहली बार जिक्र 11वीं सदी में मिलता है. इतिहासकार अबुल-फल बेहाकी के लेख में इसका जिक्र है. उन्होंने गजनवी के दरबार में एक ऐसी नमकीन चीज का जिक्र किया था, जिसमें कीमा और मावे भरे होते थे. हालांकि, समोसे को तिकोना बनाना कब शुरू किया गया, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. लेकिन, ऐसी ही एक डिश ईरान में पाई जाती थ

हुए कई बदलाव 

विदेशियों के साथ अफगानिस्तान होते हुए समोसा भारत पहुंचा. यहां तक पहुंचने में इसके आकार से लेकर इसमें भरी जाने वाली फिलिंग तक में तमाम बदलाव हुए. ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में समोसे में सूखे मेवे और फल की जगह बकरे और भेड़ के मीट ने ली, जिसे प्याज को काटकर उसके साथ मिलाकर बनाया जाता था.

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