
1909 का भारत परिषद अधिनियम
इस अधिनियम को मार्ले – मिण्टो सुधार अधिनियम से के नाम जाना जाता है क्योंकि मार्ले इस समय भारत के सचिव व मिण्टो भारत के वायसराय थे।
इस अधिनियम को सर अकण्डेल समिति की सिफारिश पर फरवरी 1909 में पारित किया गया ।
-इस अधिनियम में कहा कि अगर कोई हिंन्दू जमींदार सलाना 350 रु व मुस्लिम जमींदार सलाना 100 रुपये देता है तो उसको मत देने का अधिकार दिया जाएगा।
इसी अधिनियम से भारत में साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत की गई
इसी अधिनियम से केवल मुस्लिम धर्म को आरक्षण दिया गया
इस अधिनियम में कहा कि केन्द्र व राज्य की विधान – परिषदों में 5-5 सीटें मुस्लिमों के लिए आरक्षित की जाएगी
इसी अभिनियम से भारत में साम्प्रदायिकता की शुरुआत मानी जाती है।
जनक लॉर्ड मार्ले
इस अधिनियम से पहली बार भारत के गवर्नर जनरल के परिषद में किसी एक भारतीय व्यक्ति को नियुक्त किया गया
यह था’ – सर्वोमेन्द्र प्रसाद सिन्हा
कथन -1. मिण्टों ने मार्ले को पलार में कहा कि इस अधिनियम के माध्यम से हम भारत में नाग के दाँत बो रहे है। जिसका परिणाम भीषण होगा।
कथन 2 R.G. मजूमदार ने इस अधिनियम को चन्द्रमा की चाँदनी के समान बताया
कथन 3 K.M. मुंशी ने कहा कि इस अधिनियम ने भारत में उभरते हुए लोकतन्त्र को मार डाला
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